Tuesday, May 10, 2022

वो स्पर्श

याद है मुझे तुम्हारा वो स्पर्श
जिस दिन
सिमटी थी मैं
तुम्हारे भीतर
उस अंतहीन अंबर के नीचे
सिर्फ ... 
पूर्णता से जीने के लिए... 
उस अंतस को छूने के लिए...
जिस तरह
मिलता है कोई अपना अपने.... 

5 comments: