Saturday, December 28, 2019

जन्मदिन मुबारक 🎂🌲❤️

भाई को जन्मदिन मुबारक हो और साथ ही क्रिसमस की भी शुभकामनाएं । क्रिसमस के दिन जन्मदिन होने का फायदा तुम्हें शुरू से मिला है । सबसे बड़ा फायदा तो यही कि क्रिसमस के दिन छुट्टी होने के कारण सारी चोकलेट बच जाती थी और फिर  तू अकेले ही बहुत दिन तक खाता रहता था और हाँ । सबसे मजेदार है बुआजी वाली बात... क्या करें तो फिर सभी को बता ही दे क्या ?... चल कोई नहीं बता ही देते हैं... बात यही तेरे जन्मदिन की है हर बार की तरह इस जन्मदिन की भी सारी चोकलेट तू अकेले ही खाने वाला था लेकिन किसी कारणवश मम्मी-पापा को बाहर जाना पड़ा और घर का काम सँभालने के लिए बुआजी को बुलाया गया । जन्मदिन और बुआजी का आना एक ही दिन हुआ । बस फिर क्या था चोकलेट् में बुआजी की भी हिस्सेदारी शुरू हो गई । बुआजी दिन की चार-पांच चोकलेट उठाते और खा लेते । अब धीरे-धीरे तुम्हें पता चला कि ये चोकलेट्स कम कैसे होती जा रही है लेकिन घर में तो मैं और बुआजी दो ही है । अब तो बुआजी की भी हिस्सेदारी शुरू हो चुकी है लेकिन यह हिस्सेदारी तू कहाँ बर्दास्त करने वाला था । मैं होती तो लड़ाई झगड़ा करके सारी निकलवा भी लेता । लेकिन बुआजी को तो बोल भी नहीं सकता कि आप मत खाइयें ये मेरी अकेले की ही चोकलेट्स है ।
 खैर अब क्या था जितनी बड़ी समस्या उतना ही अच्छा समाधान भी निकाल लिया तेरे शैतान दिमाग ने । वैसे भी चोकलेट्स के लिए तो तू कुछ भी कर सकता है समाधान यही कि सारी चोकलेट्स वहाँ से उठाकर बुआजी के ही बैग में रख दी अब बुआजी सुबह-सुबह ही आदतानुसार चोकलेट लेने के लिए गये लेकिन वहाँ तो कुछ नहीं है । सब जगह ढूंढी लेकिन कहीं नहीं मिली । शाम होते-होते तो सोचा अब तो नहीं मिलने वाली धर्मा से ही पूंछ लेते हैं । “धर्मा आज तेरी सारी चोकलेट् कहाँ गई मिल ही नहीं रही ।” अब बारी थी धर्मा के जवाब कि धर्मा – “कहीं नहीं बुआजी वो आपके बैग में ही रख दी थी आपको चाहिए क्या ? मैं लाकर देता हूँ । ये लो दो खा लीजिये ।” ये तुम्हारा चोकलेट् प्रेम है ।
तुम्हारी इतनी सारी बातें, हँसी और चुटकुले... सुनो एक ही बस यह लास्ट है । पता नहीं यह तुमने कितनी बार बोला होगा और फिर वही बिना किसी हाँ के चुटकले और बातों का दौर शुरू.. ये इतनी आसानी से खत्म होने वाला नहीं है ।
लेकिन अब तुम बहुत समझदार हो गये हो । कभी-कभी तो तुम्हारी इस समझ से भी डर लगने लगता है कि कहाँ से आ गई इतनी समझदारी... इसीलिए तुम्हारे इस जन्मदिन पर कुछ खास बातें मैं तुम्हें बताने वाली हूँ । यह अट्ठारह-उन्नीस साल की उम्र ही ऐसी है जिसमें नई उमंग, नई राहें हैं और इन राहों में तुम्हारे सामने बहुत से लोग आयेंगे उनमें से जो तुम्हारी आत्मा के हिस्से की तरह होंगे उन्हें सहेज कर रखना और बाकी को किनारे कर देना । जीवन में फूल और कांटे दोनों आयेंगे बस संभल के रहना है । अच्छा हुआ तो भी ‘रूकना मत’ और कुछ बुरा भी हो तो भो सोच लेना ‘कुछ दिन की बात है बीत जाएगा’ । सपनों के इस असीम संसार में जो तुम्हारा लक्ष्य है उसकी तरह तुम्हारा जीवन भी विशाल होना चाहिए । सफलता के इस पैमाने को प्राप्त करने के लिए बाहरी समृद्धि से अधिक अन्दर की नैतिक समृद्धि को महत्त्व देना । अब तुम उम्र के उस पड़ाव के दौर से गुजर रहे हो जहाँ भटकाव के लिए अनेक रास्ते हैं लेकिन मुझे आशा है कि तुम हमेशा की तरह सही रास्ते का चुनाव करोगे । प्रतिस्पर्धा के इस दौर से भी घबराना मत । मौके बहुत मिलेंगे बस संघर्ष करते हुए आगे बढ़ते रहना । और साथ ही सफलता की तमाम सीढ़ियों पर चढ़ते हुए भी अपनी मासूमियत को बचाए रखना । सीखते रहना, चलते रहना और बढ़ते रहना लेकिन सावधानी के साथ । खूब पढ़ना अपने आप को भीतर से सुन्दर बनाने और लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए ।
अभी से तुम जितने जिम्मेदार, समझदार और संवेदनशील हो । इसी तरह आगे भी समझते रहना । तुम्हारे लिए नि:स्वार्थ और पवित्र प्रार्थनाएँ ।
प्रेम और शुभकामनाओं के साथ असीम स्नेह तुम्हारा फौजी

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